Mahakumbh 2025 का आज आखिरी अमृत स्नान के साथ होगा समापन, जानें इससे जुड़ी अहम बातें

Mahakumbh 2025 to conclude today after last Amrit Snan

26 फरवरी को Mahakumbh 2025 का अंतिम अमृत स्नान और महाशिवरात्रि का त्यौहार दोनों मनाया जाता है

महाकुंभ के अंतिम स्नान में भाग लेने के लिए प्रयागराज में भीड़ उमड़ने लगी है, महाकुंभ और प्रयागराज में वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है, ताकि महाकुंभ के समापन के दिन भीड़ का आवागमन सुचारू रूप से हो सके। महाशिवरात्रि पर प्रयागराज के संगम क्षेत्र में कम से कम 2.5 करोड़ तीर्थयात्रियों के स्नान करने की उम्मीद है।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, सभी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन दूध, सब्जियां, दवाइयां जैसी आवश्यक वस्तुएं ले जाने वाले वाहनों को छूट दी जाएगी। सरकारी कर्मचारियों और एंबुलेंस के वाहनों को भी आदेश से छूट दी गई है।

इसमें कहा गया है, “दूध, सब्जियां, दवाएं, ईंधन और आपातकालीन वाहनों के परिवहन सहित आवश्यक सेवाओं पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक कर्मचारियों जैसे सरकारी कर्मियों की भी आवाजाही स्वतंत्र रहेगी।” मेला पुलिस की ओर से जारी बयान के अनुसार प्रशासन ने सभी आगंतुकों से दिशा-निर्देशों का पालन करने और अधिकारियों के साथ सहयोग करने का आग्रह किया है।

श्रद्धालुओं को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे अपने प्रवेश बिंदुओं के आधार पर संगम पर अपने निकटतम घाटों और मंदिरों में ही डुबकी लगाएं और पूजा-अर्चना करें।

“भक्तों को अपने प्रवेश बिंदुओं के आधार पर निकटतम निर्दिष्ट घाटों पर ही स्नान करना चाहिए। दक्षिणी झूंसी मार्ग से आने वालों को अरैल घाट का उपयोग करना चाहिए, जबकि उत्तरी झूंसी मार्ग से आने वालों को हरिश्चंद्र घाट और पुराने जीटी घाट की ओर जाना चाहिए। पांडे क्षेत्र के प्रवेशकों को भारद्वाज घाट, नागवासुकी घाट, मोरी घाट, काली घाट, राम घाट और हनुमान घाट की ओर जाने का निर्देश दिया गया है। अरैल क्षेत्र से आने वाले भक्तों को स्नान के लिए अरैल घाट का उपयोग करना चाहिए,” बयान में कहा गया है।

इसमें कहा गया है, “भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए, भीड़ के घनत्व के आधार पर पोंटून पुलों का प्रबंधन किया जाएगा। अधिकारियों ने भक्तों से अनावश्यक आवाजाही से बचने और अनुष्ठान पूरा करने के बाद तुरंत अपने गंतव्य पर लौटने का आग्रह किया है।” मेला पुलिस प्रशासन ने सभी आगंतुकों से इन निर्देशों का पालन करने और भव्य धार्मिक आयोजन के दौरान व्यवस्था बनाए रखने में मदद करने की अपील की है।

Mahashivratri 2025 :- इसका महत्व, सही समय और इसके बारे में अधिक जानें

Mahashivratri 2025 हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 26 फरवरी 2025 को है। इस दिन भक्तगण व्रत, पूजा, और रात्रि जागरण के माध्यम से भगवान शिव की आराधना करते हैं।

महाशिवरात्रि का महत्व

Mahashivratri का शाब्दिक अर्थ है ‘शिव की महान रात्रि’। इस पर्व से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं:

1. शिव-पार्वती विवाह:

एक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। यह दिन उनके दिव्य मिलन का प्रतीक है।

2. शिवलिंग का प्राकट्य:

दूसरी कथा के अनुसार, फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव एक ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जो उनकी अनंत शक्ति और अस्तित्व का प्रतीक है।

3. हलाहल विष का पान:

समुद्र मंथन के दौरान निकले विष ‘हलाहल’ को भगवान शिव ने इसी दिन अपने कंठ में धारण किया था, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए।

महाशिवरात्रि के अनुष्ठान

Mahashivratri पर भक्तगण विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से भगवान शिव की आराधना करते हैं:

1. व्रत:

भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, जो आत्मशुद्धि और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।

2. पूजा और अभिषेक:

शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, और बेलपत्र चढ़ाकर अभिषेक किया जाता है। यह अनुष्ठान चार प्रहरों में संपन्न होता है, प्रत्येक प्रहर में विशेष पूजा की जाती है।

3. रात्रि जागरण और मंत्रों का जाप:

भक्त पूरी रात जागकर भगवान शिव के मंत्रों का जाप, भजन, और कीर्तन करते हैं। यह रात्रि जागरण आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।

4. मंदिर दर्शन:

भक्तगण शिव मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।

महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

Mahashivratri केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक जागरण का पर्व है। इस दिन ध्यान, साधना, और भगवान शिव के प्रति समर्पण से मनुष्य अपने भीतर की नकारात्मकताओं को दूर कर सकता है और मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है।

महा शिवरात्रि 2025: तिथि और समय

  • चतुर्दशी तिथि आरंभ – 26 फरवरी 2025 – 11:08 पूर्वाह्न

  • चतुर्दशी तिथि समाप्त – 27 फरवरी 2025 – 08:54 पूर्वाह्न

  • निशिता काल पूजा समय – 12:09 पूर्वाह्न से 12:59 पूर्वाह्न, 27 फरवरी

  • शिवरात्रि पारण (उपवास तोड़ना) समय – सुबह 6:48 बजे से 8:54 बजे तक

  • रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – शाम 6:19 बजे से रात 9:26 बजे तक

  • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – रात्रि 9:26 बजे से रात्रि 12:34 बजे तक, 27 फरवरी

  • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय- 27 फरवरी, रात्रि 12:34 बजे से 3:41 बजे तक

  • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय- 27 फरवरी प्रातः 3:41 से प्रातः 6:48 तक

निष्कर्ष

Mahashivratri भगवान शिव की आराधना का पावन पर्व है, जो भक्तों को भक्ति, समर्पण, और आत्मशुद्धि का अवसर प्रदान करता है। इस दिन के अनुष्ठानों और परंपराओं का पालन करके हम भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर कर सकते हैं।

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