Mahashivratri 2025 हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 26 फरवरी 2025 को है। इस दिन भक्तगण व्रत, पूजा, और रात्रि जागरण के माध्यम से भगवान शिव की आराधना करते हैं।
महाशिवरात्रि का महत्व
Mahashivratri का शाब्दिक अर्थ है ‘शिव की महान रात्रि’। इस पर्व से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं:
1. शिव-पार्वती विवाह:
एक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। यह दिन उनके दिव्य मिलन का प्रतीक है।
2. शिवलिंग का प्राकट्य:
दूसरी कथा के अनुसार, फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव एक ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जो उनकी अनंत शक्ति और अस्तित्व का प्रतीक है।
3. हलाहल विष का पान:
समुद्र मंथन के दौरान निकले विष ‘हलाहल’ को भगवान शिव ने इसी दिन अपने कंठ में धारण किया था, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए।
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महाशिवरात्रि के अनुष्ठान
Mahashivratri पर भक्तगण विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से भगवान शिव की आराधना करते हैं:
1. व्रत:
भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, जो आत्मशुद्धि और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।
2. पूजा और अभिषेक:
शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, और बेलपत्र चढ़ाकर अभिषेक किया जाता है। यह अनुष्ठान चार प्रहरों में संपन्न होता है, प्रत्येक प्रहर में विशेष पूजा की जाती है।
3. रात्रि जागरण और मंत्रों का जाप:
भक्त पूरी रात जागकर भगवान शिव के मंत्रों का जाप, भजन, और कीर्तन करते हैं। यह रात्रि जागरण आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।
4. मंदिर दर्शन:
भक्तगण शिव मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
Mahashivratri केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक जागरण का पर्व है। इस दिन ध्यान, साधना, और भगवान शिव के प्रति समर्पण से मनुष्य अपने भीतर की नकारात्मकताओं को दूर कर सकता है और मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है।
महा शिवरात्रि 2025: तिथि और समय
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चतुर्दशी तिथि आरंभ – 26 फरवरी 2025 – 11:08 पूर्वाह्न
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चतुर्दशी तिथि समाप्त – 27 फरवरी 2025 – 08:54 पूर्वाह्न
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निशिता काल पूजा समय – 12:09 पूर्वाह्न से 12:59 पूर्वाह्न, 27 फरवरी
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शिवरात्रि पारण (उपवास तोड़ना) समय – सुबह 6:48 बजे से 8:54 बजे तक
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रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – शाम 6:19 बजे से रात 9:26 बजे तक
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रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – रात्रि 9:26 बजे से रात्रि 12:34 बजे तक, 27 फरवरी
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रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय- 27 फरवरी, रात्रि 12:34 बजे से 3:41 बजे तक
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रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय- 27 फरवरी प्रातः 3:41 से प्रातः 6:48 तक
निष्कर्ष
Mahashivratri भगवान शिव की आराधना का पावन पर्व है, जो भक्तों को भक्ति, समर्पण, और आत्मशुद्धि का अवसर प्रदान करता है। इस दिन के अनुष्ठानों और परंपराओं का पालन करके हम भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर कर सकते हैं।