“Trump’s Reciprocal Tariff implemented from 2 april 2025: Impact on India, Global Trade, and the Common Citizen”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल 2025 से भारत और अन्य देशों पर ‘प्रतिशोधी शुल्क’ (reciprocal tariff) लागू करने की घोषणा की है। इस निर्णय का उद्देश्य उन देशों पर समान शुल्क लगाना है जो अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाते हैं। ट्रम्प ने विशेष रूप से भारत का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ऑटोमोबाइल पर 100% से अधिक शुल्क लगाता है, जिसे उन्होंने ‘अनुचित’ बताया।
Reciprocal Tariff क्या हैं?
Reciprocal Tariff वे आयात शुल्क हैं जो किसी देश द्वारा उन देशों के उत्पादों पर लगाए जाते हैं जो उसके उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाते हैं। इस नीति के तहत, अमेरिका उन देशों के उत्पादों पर वही शुल्क लगाएगा जो वे अमेरिकी उत्पादों पर लगाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि भारत अमेरिकी ऑटोमोबाइल पर 100% शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी भारतीय ऑटोमोबाइल पर 100% शुल्क लगाएगा।
Trump Tariff Announcement: क्या है Reciprocal Tariff? जिसने बढ़ाई भारत की टेंशन!
अन्य खबरों के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें:https://t.co/182eyxdvpD#shorts #TrumpTariffs #AmarUjala | @realDonaldTrump pic.twitter.com/KsDXr82EdW
— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) April 2, 2025
शेयर बाजार पर प्रभाव
इस घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी गई। 3 अप्रैल 2025 को, बीएसई सेंसेक्स 322.08 अंक (0.42%) गिरकर 76,295.36 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 82.25 अंक (0.35%) की गिरावट के साथ 23,250.10 पर बंद हुआ। सूचना प्रौद्योगिकी, ऑटोमोबाइल और रसायन क्षेत्रों में गिरावट देखी गई, हालांकि फार्मा, बैंकिंग और वस्त्र क्षेत्रों में बढ़त रही।
भारत और आम नागरिकों पर प्रभाव
अमेरिकी शुल्कों से भारतीय निर्यातकों, विशेषकर ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र और आईटी सेवाओं में, प्रभावित होने की संभावना है। इन क्षेत्रों में अमेरिकी बाजार में मांग घट सकती है, जिससे उत्पादन और रोजगार पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, अमेरिकी उत्पादों पर भारत द्वारा लगाए गए संभावित जवाबी शुल्क से उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिससे आम नागरिकों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा।
ट्रम्प द्वारा इसे लागू करने का कारण
राष्ट्रपति ट्रम्प का तर्क है कि कई देश अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाते हैं, जिससे अमेरिकी व्यापार घाटा बढ़ता है और घरेलू उद्योगों को नुकसान होता है। प्रतिशोधी शुल्क के माध्यम से, वे इन देशों को समान शुल्क लगाने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं, ताकि अमेरिकी उत्पादों को निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का अवसर मिले और घरेलू नौकरियों की सुरक्षा हो सके।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के शुल्कों से वैश्विक व्यापार युद्ध की संभावना बढ़ सकती है, जिससे आर्थिक अस्थिरता और मंदी का खतरा हो सकता है। अतः, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में यह नीति भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है।